Wednesday, June 17, 2020

बुधवारीय स्तम्भ | विचार वर्षा 3 | स्वदेशी और आत्मनिर्भरता | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
प्रिय ब्लॉग पाठकों, "विचार वर्षा"...   मेरे इस कॉलम में आज पढ़िए "स्वदेशी और आत्मनिर्भरता" 🙏 अपने विचारों से अवगत कराएं और शेयर करें 🙏
हार्दिक धन्यवाद युवा प्रवर्तक 🙏🌹🙏
दिनांक 17.06.2020

मित्रों, आप मेरे इस कॉलम को इस लिंक पर भी जाकर पढ़ सकते हैं-
http://yuvapravartak.com/?p=35057

बुधवारीय स्तम्भ : विचार वर्षा

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता
       - डॉ. वर्षा सिंह

      अभी चार दिन पहले की ही बात है...  मिक्सी अचानक चलते -चलते बंद हो गई। मिक्सी का बंद होना यानी किचन के कामों में अचानक बाधा उत्पन्न हो जाना। जी हां, दरअसल हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इतने आदी हो गए हैं कि उनके बिना कोई भी काम सुविधापूर्वक नहीं कर पाते हैं। विशेष रूप से किचन के कार्यों में पीसने, काटने, किस्सी करने जैसे काम। तो हुआ यह कि मिक्सी के बंद हो जाने पर नई मिक्सी लेने के बारे में मैं विचार करने लगी, क्योंकि मेरी यह बंद हुई मिक्सी लगभग 8-10 साल पुरानी हो चुकी है और अब यह जरूरी हो गया है कि इसे समेट कर एक ओर रख दिया जाए और नई मिक्सी खरीद ली जाए। वैसे भी इस कोरोनाकाल में मिक्सी सुधारक आसानी से मिलने वाला नहीं है । मिक्सी खरीदने की बात चलने पर अपने पुराने मॉडल इनालसा की मिक्सी खरीदने के विषय में मैं सोचने लगी। मैंने अपनी माताजी डॉ विद्यावती "मालविका" से इस संबंध में चर्चा की और उनसे मैंने यह कहा कि इनालसा की ही नई मिक्सी लेना अच्छा होगा । माता जी मेरी बात सुनकर बोली कि- "बेटा वर्षा, इनालसा कंपनी मेरे विचार से विदेशी कंपनी है।"
     यह सुनकर मैंने कहा- "जी हां, स्पेनिश कंपनी है, लेकिन भारत में इसके प्रोडक्ट काफी समय से उपयोग में लाए जा रहे हैं।"
      तब माताजी ने कहा- "लगता है कि भारत में कोई भी ऐसी कंपनी नहीं है जो मिक्सी जैसे उत्पादों का निर्माण करती हो !"
      मैं चौंक गई। मैंने कहा - "ये क्या कह रही हैं आप ? आप भी जानती हैं कि भारत में एक से एक कंपनियां है जो इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में अग्रणी हैं। प्रीती, गोपी, महाराजा, उषा, सुजाता, बजाज ... अनेक हैं जो ग्राइंडर, मिक्सर, प्रोसेसर आदि बनाती हैं।"
      माता जी मेरी बात सुनकर हंस दी और बोली - "फिर विदेशी कंपनी का उत्पादन क्रय करने की सोच क्यों ? अभी जो तुमने नाम गिनाए हैं उनमें से किसी कंपनी के उत्पाद को क्यों नहीं खरीदने पर विचार करती हो?"
       फिर वे अपने अतीत को याद करते हुए कहने लगीं कि -" बजाज कंपनी के संस्थापक जमनालाल बजाज जी को महात्मा गांधी अपना पांचवां पुत्र मानते थे।  जब अपने बचपन के दिनों में मैं पिताजी यानी तुम्हारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नानाजी ठाकुर श्यामचरण सिंह के साथ वर्धा में थी, तब जमनालाल बजाज जी से  मुलाकात हुई थी। बहुत सरल, सहज स्वभाव के धनी जमनालाल जी ने मुझे उपहार में एक पेन दी थी और कहा था कि विद्या बेटी, तुम्हारी लिखने-पढ़ने में रुचि है तो तुम इस पेन से लिखना, यह पेन स्वदेश में निर्मित है। उसी पेन से मैंने स्कूल में अनेक परीक्षाएं दीं, उत्तीर्ण कीं और बाद में उसी पेन से मैंने अनेक गीत लिखे।"
       माताजी की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा कि हां, वास्तव में हमारे देश में एक से बढ़़ कर एक उद्यमी हुए हैं जिन्होंने हमारे देश के विकास में अपना योगदान दिया है। और आज पता नहीं हम क्यों विदेशी वस्तुओं की ओर आकर्षित होते हैं जबकि हमारे देश में स्वदेशी सामानों की कमी नहीं है । स्वदेश में निर्मित सामान हमें अपनी संस्कृति, अपने गौरव और अपनी परंपरा से जोड़ने में सक्षम हैं। ये हमें हमारे इतिहास की जानकारी देते हैं ... और तब मैंने तय कर लिया कि मैं अब जो भी सामान चाहे वह मिक्सी हो अथवा और कुछ... स्वदेश में निर्मित वस्तुएं ही करूंगी। ... और यह होगा देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में मेरा भी एक छोटा सा योगदान।
      और अंत में मेरा यह दोहा ....
हरदम यह आगे रहे, रहे सदा खुशहाल ।
मेरे भारत देश का, चमके उज्जवल भाल ।।
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कृपया यूट्यूब पर देखने के लिए इस लिंक पर जाएं....
https://youtu.be/SG0sv_wt5yA


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